डा.भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महाराष्ट्र मे महार जाति के एक साधारण परिवार मे हुआ इस जाति को महाराष्ट्र मे अछूत समझा जाता था इनके पिता का नाम श्री राम जी राव और माता का नाम श्रीमती भीमाबाइ था महार जाति एक वीर जाति थी इस जाति के लोग वीर योद्धा हुआ करते थे वो समय ऐसा था जब अछूतों की परछाई भी उच्च वर्ग के लोगों पर नही पड़ सकती थी
जाति भेदभाव के अलावा पूरे देश मे एक गंभीर समस्या और भी थी अंग्रेजों का अत्याचार पूरा देश गुलामी की जंजीरों मे जकड़ा हुआ था
भीम राव अंबेडकर की प्रारम्भिक शिक्षा महाराष्ट्र के डपोली कस्बे मे और उसके बाद सतारा मे हुई अछूत होने के कारण उन्हे कक्षा के कमरे मे एक कोने मे फटे पुराने टाट पर बैठना पढ़ता था इसके अलावा बार बार अध्यापकों और साथियों का अपमानजनक व्हवहार भी सहना पड़ता था स्कूल के अध्यापकों और सहपाठियों से बार बार अपशब्द सुनते हुए और उनके दुर्यव्हवहारों को झेलते हुए भी बाबा साहेब ने पढ़ाई के प्रति अपनी रुचि तथा लगन मे कभी कमी नही आने दी उन्हे द्रढ़ विश्वास था कि एक दिन शिक्षा के कारण ही उनके जीवन मे भारी परिवर्तन आयेगा अपनी मेहनत और लगन के बल पर भीमराव लगातार पढ़ाई मे सफल होते जा रहे थे अमेरिका के कोलम्बिया विश्वविधालय से एम ए किया तथा 1924 मे पी एच डी की उपाधि हासिल की लंदन स्कूल आफ इकोनामिक्स से एम एस सी करने के बाद 'बार एट लाँ ' की उपाधि भी प्राप्त की हिन्दु धर्म के भेदभाव व्यवहार के कारण डा. अम्बेडकर का हिन्दु धर्म के प्रति विश्वास डगमगाने लगा और बौद्ध धर्म की ओर उनका झुकाव बढ़ने लगा सन 1942 मे बाबा साहेब ने नागपुर मे भारतीय अछूत महासभा का अधिवेशन बुलाया इसमे उन्होने स्पष्ट रुप से घोषणा की कि अछूत हिन्दु समाज के अंग नही है
9 दिसम्बर 1946 को नई दिल्ली मे संविधान सभा का अधिवेशन शुरु हुआ डा.राजेन्द्र प्रसाद को इसका सभापति चुना गया 29 अप्रैल 1947 को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने एक प्रस्ताव रखा जिसके आधार पर छुआछूत को सदा के लिये कानूनी रुप से समाप्त कर दिया गया इससे डा. साहब बेहद खुश हुए डा. भीमराव अम्बेडकर ने अछूतों के लिये अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये उन्होने कई शिक्षण सँस्थानो की स्थापना की देश के कानून मंत्री के रुप मे उन्होने हिन्दु कोड बिल पास करवाया और बौद्ध धर्म ग्रहण किया उनकी हार्दिक इच्छा थी कि वे इस देश के अछूत कहे जाने वाले वर्ग के लिये इतना कुछ कर जायें जिससे उस पीड़ा का लेशमात्र भी शेष न रहे जिसे उन्होने जीवन भर सहा है
अतः जीवन भर सघंर्षरत रहा यह देशभक्त महापुरुष ने पूरे जीवन को देश के अछूतों गरीबों के लिये न्योछावर कर दिया
जन्म दिन विशेष " डा. भीमराव अम्बेडकर "